ताजमहल की ये बातें आपको नहीं पता होंगी! | Hidden secrets of Taj Mahal in Hindi
Hidden secrets of Taj Mahal in Hindi: दोस्तों मुमताज़ की याद में शाहजहाँ ने बनवाया ताजमहल दुनिया के 7 अजूबों में गिना जाता है। हांथी दांत जैसे सफेद संगमरमर का मकबरा देखने में बड़ा खूबसूरत है, जिसमें पथरोंका काफी बेहतरीन काम किया गया है. आप में से बहुत से लोगों ने इसे आगरा जा कर देखा भी होगा और हकीकत में ही नहीं कम से कम फोटो या विडियो में तो आज में देखा ही होगा। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है उस पर लगा 1-1 पत्थर कैसे रुका हुआ है और कैसे इस पूरी इमारत का निर्माण हुआ होगा? क्यूँकी आज की बड़ी बड़ी इमारतें और बड़े बड़े bridges मजबूत सीमेंट से बनते हैं और फिर कुछ ही सालों मैं वे ढेर हो जाते हैं. तो फिर 1648 में बना हुआ ताज महल आज तक कैसे टिका?
वैसे जिन्हें नहीं पता उन्हें बता दे की सीमेंट का आविष्कार 1824 में इंग्लैंड के Joseph Aspdin(जोसेफ अस्पडिन) नामक शख्स ने किया था. जिसका एक्सपेरिमेंट उन्होंने 1811 में शुरू किया और 1824 में वो कामयाब हुए. पहली सिमेंट उन्होंने ही बनाई थी जिसका नाम था पोर्टलैंड सिमेंट. तो फिर 1632 में ताज महल का निर्माण शुरू हुआ तब तो cement के बारे में कोई जनता भी नहीं था. तो फिर आखिर कैसे ताजमहल बनवाया गया? वो भी इतनी मजबूत सी की आज तक तटस्थ खड़ा है. क्या हुआ सोच में पड़ गए कोई बात नहीं, हम बताते हैं।
ताज महल की कहानी ज्यादातर लोगों ने सुनी ही है की, ये शाहजहाने तीसरी बीवी मुमताज की मोहब्बत में बनवाया था. उस जमाने में इसे बनवाने में करीब 3 करोड़ की लागत आई थी और ताज महल आज भी दुनिया को हैरान करने में कोई कसर नहीं छोड़ता, चाहे वो इसके सफ़ेद marbles हो, चाहे नक्काशियों में लगे अनोखे पत्थर हो या इसकी कारीगरी और आज हम इसकी कारीगरी पर ही बात करेंगे।
लकड़ियों से बनी हुई ताज महल की नींव –
अब ये बात भले ही आपको सुनने में अजीब लग रही होगी और आप सोच भी रहे होंगे की पागल हो गया क्या भला लकड़ियों की नीव 370 साल से भी ज्यादा कैसे टिक सकती है पर यही सच्चाई है. चलिए हम समझाते हैं।
इस लकड़ी की नींव में सबसे बड़ा रोल यमुना नदी का है, जी हाँ जिस तरह से शाहजहाँ मुमताज के बिना अधूरे है, उसी तरह यमुना के बिना ताजमहल बेकार है। इसलिए नहीं की यमुना नदी इसे खूबसूरत View देती है। इसलिए की बिना यमुना के ताज महल का कोई वजूद नहीं रहेगा, और वो गिर जाएगा। जी हाँ सही सुना आपने असल में ये सारा खेल उसी लकड़ी का है, दरअसल वो लकड़ियाँ आबनूस के पेड़ की लकड़ियाँ हैं. आबनूस की लकड़ी 1 तरह से पत्थर की तरह होती है जो आम लकड़ियों की तरह पानी में तैरते नहीं बल्कि डूब जाती है. इन लकड़ियों की खासियत यह है की इनमें दीमक नहीं लगती और सबसे जरूरी बात अगर आबनूस की लकड़ियों में permanent 30 या 30 से ज्यादा प्रतिशत नमी बनी रहे, तो आबनूस की लकड़ी कभी खराब नहीं होगी।
ताजमल के केस में भी यही है, नीव में लगे होने के कारण इन लकडियों का यमुना के पानी से पर्याप्त मात्रा में नमी पहुंचती रहती है और यही कारण है की लकड़िया पत्थर से भी मजबूती से जमी हुई है और इसलिए ही ताज महल अभी तक टिका हुआ है क्यूँ की उसके किनारे यमुना नदी है, लेकिन यमुना जिस तरह से सूख रही है उसने आर्कियोलॉजिस्ट की चिंता बढ़ा दी है, उनका मानना है कि जिस दिन यमुना का पानी ज्यादा कम हो जाएगा उस दिन लकड़ियों में नमी का सर 30 प्रतिशत से कम हो जायेगा और ताज महल गिर जाएगा. तो अब आप समझ ही गए होंगे की नींव में जब पत्थर ही नहीं है तो फिर सीमेंट की ज़रुरत ही नहीं है।
लेकिन अब सोचने वाली बात ये है की नींव के ऊपर तो सारा पत्थर ही है तो फिर उसका क्या?
चलिए, जब नीव के बारे में हमने आपको बताया है तो उसके बारे में भी हम बताएंगे. जैसा की आपको हमने बताया था सीमेंट की खोज हुई थी 1824 में और ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ था यानी करीब 194 साल पहले. तो फिर कैसे चिपकाए गए थे संगमरमर के पत्थर?
दोस्तों आजकल तो मार्बल चिपकाने के लिए कई तरीके मौजूद हैं जिनके जरिए संगमरमर के पत्थरों को चिपका दिया जाता है, हालाँकि उस वक्त पत्थरों को चिपकाने के लिए या आधारशिला बनाने के लिए खास तरह का मटेरियल तैयार किया गया था, और ऐसा नहीं था कि ताज महल में सिर्फ संगमरमर ही इस्तेमाल किया गया था. उसके कंस्ट्रक्शन में बहुत सरे semi precious stone और कुछ ultra rare stones भी ताज महल बनाने में इस्तेमाल हुए थे।
एक रिसर्च के मुताबिक ताज महल के लिए एक अलग सा खोल बनाया गया था, जिसका नाम सरूज बताया जाता है, ये खोल चिकनी मिटटी आदि से बनाया गया था। इसके अलावा इसमें गुड़, डालें, चीनी, गोंद आदि भी मिलाए गए थे. इसके साथ ही ताज महल का निर्माण हुआ और इसकी मदद से इतनी पकड़ हो गयी की आज कई सालों बाद भी ताज महल भूकंप, तूफान, बारिश, धूप, गर्मी, सर्दी का मुकाबला कर रहा है। यह इतना मजबूत है की भूकंप भी ताज महल को गिरा नहीं सकता।
दोस्तों ये बात थोड़ी साइंटिफिक है लेकिन interesting भी है की कोई, भारी भूकम्प भी ताज महल को नहीं गिरा सकता, ताज महल केवल प्यार का प्रतीक और सफ़ेद संगमरमर की 1 खूबसूरत इमारत ही नहीं बल्कि मुगल काल के सिविल इंजिनीरिंग का एक बेहतरीन नमूना भी है. अगर आपने ताज महल को गौर से देखा होगा तो एक बात आपने नोटिस की होगी की मेन बिल्डिंग के चारों तरफ बने हुए चारों मीनार आपस में परफेक्टली परपेंडिकुलर नहीं है, जिसका मतलब ये है की वो straight नहीं खड़ी है और ऐसा जानबूझ कर किया गया था।
उन मिनारों को थोड़ा सा झुका दिया गया ताकि अगर कोई भूकंप आता तो वो चारो मिनार मेन बिल्डिंग से दूर गिर जाए और इस तरह भूकंप के सारे झटके मेन बिल्डिंग तक पहुँचने से पहले ही, इन मिनारों में अब्जॉर्ब हो जाएंगे और इस तरह, इमारत पर भूकंप का कोई असर नहीं होगा और वो सुरक्षित बच जाएगी .
और आखिर में 1 बात ये भी जान लो की शाह जहाँ ने किसी भी मजदूर के हाथ नहीं कटवाए थे ये महज 1 अफवाह है और कुछ नयी.
तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ Hidden secrets of Taj Mahal in Hindi के इस आर्टिकल से आपको कुछ नया सिखने और जानने को मिला होगा।
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